कुतर्को की चादर आज भी बिछाई जा रही है
सत्ता के हर फ़ैसले की आरती गायी जा रही है
ये हर इक मुराद को माचिस दिखाएँगे देखो
जिनके वादों की बतिया बनाई जा रही है
कुछ तो ज़मीर, फटे जेब का ख़याल भी हो
आँख बस मूँद के भगवा सिलाई जा रही हैं
सबके पैरों में बवाई हीं फटेंगे अब तो
कीमतें रास्तों की जो बढ़ाई जा रही है
अपनी औक़ात है बस दंभ और दलीलों का
वहाँ संसद में बंदरिया नचायी जा रही है
अक्ल की आँख से तुम अपनी जहालत देखो
'अच्छे दिन' के शीशे में शक्लें दिखायी जा रही है
(आज भी 'वे' कुतर्क गढ़ेंगे नए-नए, क्यूंकि जीत 'उनकी' है पर जहालत के शिकार 'हम' ! )
सत्ता के हर फ़ैसले की आरती गायी जा रही है
ये हर इक मुराद को माचिस दिखाएँगे देखो
जिनके वादों की बतिया बनाई जा रही है
कुछ तो ज़मीर, फटे जेब का ख़याल भी हो
आँख बस मूँद के भगवा सिलाई जा रही हैं
सबके पैरों में बवाई हीं फटेंगे अब तो
कीमतें रास्तों की जो बढ़ाई जा रही है
अपनी औक़ात है बस दंभ और दलीलों का
वहाँ संसद में बंदरिया नचायी जा रही है
'अच्छे दिन' के शीशे में शक्लें दिखायी जा रही है
(आज भी 'वे' कुतर्क गढ़ेंगे नए-नए, क्यूंकि जीत 'उनकी' है पर जहालत के शिकार 'हम' ! )
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